नेपाल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार को देश की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. उन्होंने यह पद केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के तीन दिन बाद संभाला. ओली ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बाद पद छोड़ दिया था. देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं कार्की के सामने अब नेपाल को मौजूदा राजनीतिक संकट से बाहर निकालने की बड़ी चुनौती है. उनकी नियुक्ति को स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
पिछले कुछ दिनों से हिमालयी देश नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया हुआ था, जब मुख्य रूप से युवाओं के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों ने अभूतपूर्व हिंसा का रूप ले लिया. सोमवार 8 सितंबर को शुरू हुए इन प्रदर्शनों में कम से कम 51 लोगों की मौत हुई. इसके बाद ओली सरकार गिर गई. इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले Gen Z प्रतिनिधियों ने सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाया था. अब सभी की निगाहें उन पर टिकी हैं कि वे कैसे इस कठिन परिस्थिति से देश को उबारती हैं.
कैसी है सुशीला कार्की की छवि?
सुशीला कार्की को उनकी स्वच्छ छवि, पारदर्शी सोच और न्यायिक क्षेत्र के लंबे अनुभव के लिए जाना जाता है. उन्होंने न्यायपालिका में रहते हुए भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ सख्त रुख अपनाया. यही वजह है कि युवाओं और विभिन्न राजनीतिक समूहों के बीच उनकी स्वीकार्यता तेजी से बढ़ी है.
नेपाल के मौजूदा संकट में निर्णायक भूमिका निभाने वाली जेन-जी कमेटी ने साफ कर दिया है कि वे अंतरिम सरकार में शामिल नहीं होंगे. हालांकि वे कार्की के शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहेंगे और सरकार की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखेंगे. यह बयान उनके उस वादे को दोहराता है कि वे राजनीति में शामिल होने के बजाय प्रहरी की भूमिका निभाएंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुशीला कार्की के साथ कुलमान घीसिंग, ओम प्रकाश अर्याल और बालानंद शर्मा भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं.
ओली गुट का विरोध
पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी ने संसद भंग करने के फैसले का विरोध तेज कर दिया है. उनकी पार्टी के महासचिव शंकर पोखरेल ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और जनता से सतर्क रहने की अपील की. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से सड़कों पर उतरकर इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया है।
सुशीला कार्की ने 6 महीने में चुनाव का प्रस्ताव रखा
नेपाल की अंतरिम सरकार जिसका नेतृत्व सुशीला कार्की कर रही हैं, ने देश में 4 मार्च को आम चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा है। यह घोषणा पहली कैबिनेट बैठक के एजेंडे में थी। कार्की के नेतृत्व वाला अंतरिम प्रशासन छह महीने तक पद पर रहेगा। इस दौरान पूरे देश में नए चुनाव होने की उम्मीद है।