लखनऊ : राजधानी लखनऊ का सरोजनी नगर वार्ड-15, हनुमान मंदिर के ठीक बगल का इलाका, आजकल अपनी सड़कों की बदहाली को लेकर सुर्खियों में है। जिला लखनऊ की महापौर हैं श्रीमती सुषमा खर्कवाल और यहां के सभासद श्री रामनरेश लेकिन अफ़सोस, यहां की सड़कें इस कदर टूटी-पूटी हैं कि देखकर ऐसा लगता है मानो सड़क नहीं, स्थानीय “खाई कुंड” का प्रवेश द्वार हो।
बारिश में हालात ऐसे कि नाव चलाओ, पैदल न जाओ!
सड़कों पर नालियां न होने की वजह से पानी की निकासी का कोई इंतज़ाम नहीं। बारिश होते ही पूरा इलाका तालाब में तब्दील हो जाता है। बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं, लोग घर से निकलने से परहेज़ करते हैं, और ई-रिक्शा रोजाना ऐसे पलटते हैं जैसे यह कोई ‘स्टंट शो’ हो। स्थानीय लोगों के मुताबिक 8-10 दुर्घटनाएं रोज़ाना होना यहां आम बात बन चुकी है।
जनता की आवाज़ पर चुप्पी साधे बैठे हैं जिम्मेदार!
वार्ड की निवासी रूचि गुप्ता बताती हैं कि लोगों ने कई बार सभासद रामनरेश जी से शिकायत की, लेकिन नतीजा?
“हम कुछ नहीं कर सकते, आप महापौर से मिलिए।”
जनता का कहना है कि सभासद महोदय आज तक सड़कें देखने तक नहीं आए। सवाल ये है कि जनता ने वोट किसे दिया था? काम कराने को या जिम्मेदारी महापौर पर डालने को?
छोटे दुकानदार भी हो रहे हैं बुरी तरह प्रभावित
सड़कें पानी-पानी! तो भला ग्राहक घर से बाहर क्यों निकले?
दुकानों में सन्नाटा, व्यवसाय ठप, परिवारों की आमदनी पर गहरा असर।
बच्चों और महिलाओं के लिए खतरा दोगुना
बारिश के दिनों में स्कूल जाने वाले बच्चे और महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान। फिसलन, गड्ढे और पानी – तीनों मिलकर दुर्घटना को न्योता देते हैं।
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जनता की एक ही मांग
“नालियां बनवाओ, सड़कें दुरुस्त कराओ, और सरोजनी नगर की तकदीर बदलो!”
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प्रशासन और नगर निगम से सीधा सवाल :
आखिर कब तक जनता यूं ही परेशान होती रहेगी?
क्या विकास सिर्फ पोस्टर और भाषण पर ही होगा?
वार्ड-15 के लोग इंसान हैं या ‘पानी में जीने’ के लिए मजबूर जीव?
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अगर लखनऊ वाकई ‘नवाबों का शहर’ है
तो अब वक्त आ गया है कि यहां की सड़कें भी ‘शाही दर्जे’ की हों,
ना कि ‘तालाब’ बन जाने वाली!
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अंतिम चेतावनी जनता की तरफ से:
“सड़क बनाओ, नालियां दुरुस्त करवाओ, वर्ना अगली बार वोट मांगने से पहले यहां की हालत जरूर देखने आना।”



