शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन
तियानजिन :शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी SCO की मीटिंग खत्म हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत लौट रहे हैं। ऐसे में सबके मन में सवाल होगा कि आखिर इस मीटिंग से भारत को क्या मिला? भारत ने आतंकवाद पर एससीओ देशों को क्लियर मैसेज दिया! चीन-पाकिस्तान की मौजूदगी में पीएम मोदी ने सुनाया! चीन, रूस के साथ भारत के रिश्तों का नया अध्याय लिखा गया! फर्स्टपोस्ट की मैनेजिंग एडिटर पलकी शर्मा ने तीन बड़े टेकअवे बताए हैं, जो फ्यूचर में काफी कुछ तय करने वाले हैं!
1. टेरर पर पोजीशन क्लियर
भारत ने आतंकवाद को लेकर अपनी पोजीशन बहुत क्लियर कर दी है। भारत चाहता था कि आतंकवाद पर आम सहमति बनाई जाए। टेररिज्म पर जो डबल स्टैंडर्ड है, उसे स्वीकार न किया जाए। तियानजिन घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र हुआ, यह भारत के लिहाज से बहुत बड़ी जीत थी. एक ऐसे प्लेटफार्म पर जहां पर पाकिस्तान एक सदस्य देश के रूप में मौजूद है, और पाकिस्तान के बड़े समर्थक यानी चीन भी वहां मौजूद है, उसके बावजूद भारत ने अपनी बात बहुत क्लियरली और ताकत के साथ रखी और उसकी बात को माना गया।
2. भारत-चीन रिश्तों का रीसेट
दूसरा सबसे बड़ा टेकअवे, भारत और चीन के बीच रिश्तों का रीसेट है। एक बाधा थी, पिछले साल जब रूस के कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी। तब से बातचीत शुरू हुई, लेकिन उस बातचीत को एक दिशा और क्लैरिटी की आवश्यकता थी, जो दोनों लीडर्स की मुलाकात के बाद आई है। पीएम मोदी ने कहा, ये रिश्ता म्यूचुअल रिस्पेक्ट, म्यूचुअल ट्रस्ट पर आधारित होना चाहिए। हम पार्टनर हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं। एशिया के दो बड़े पिलर्स, बड़ी इकॉनमी इकट्ठा हुई हैं।
3. अमेरिका को साफ मैसेज
तीसरा टेकअवे होगा की इस मीटिंग से अमेरिका को साफ मैसेज गया है कि अमेरिका यह डिसाइड नहीं कर सकता कि कौन सा देश किस देश के साथ किस लेवल पर एंगेज करेगा या नहीं। हम स्वतंत्र राष्ट्र हैं और ग्लोबल साउथ के देश इकट्ठा हुए हैं। इस मंच पर जिस तरह नेताओं के बीच गर्मजोशी देखी गई, वह एक सीधा मैसेज व्हाइट हाउस के लिए है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ मुलाकात हमेशा ही खास रहती है। उन्होंने कहा, यह रिश्ता भरोसे का है। यह भी अमेरिका को मैसेज है।

